स्विग्गी के सीईओ ने हसल कल्चर पर सवाल उठाया स्विग्गी के सीईओ रोहित कपूर ने कर्मचारियों की सेहत और व्यक्तिगत जीवन पर हसल कल्चर के नकारात्मक प्रभावों की आलोचना की।

देर रात तक काम करने की सच्चाई उन्होंने बताया कि जो लोग देर रात तक काम करने का दावा करते हैं, वे यह नहीं बताते कि वे दोपहर 1 बजे दफ्तर आते हैं। 

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हसल कल्चर से सेहत पर नकारात्मक प्रभाव कपूर ने कहा कि काम के लंबे घंटे अक्सर व्यक्तिगत भलाई और उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। 

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हसल कल्चर की गलत धारणाएं उन्होंने कहा कि हसल कल्चर में लंबे घंटों को महिमामंडित किया जाता है, जबकि असल में यह व्यक्तिगत जीवन को नुकसान पहुंचाता है। 

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काम-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने की सलाह कपूर ने कर्मचारियों को स्वस्थ कामकाजी दिनचर्या अपनाने और निजी रिश्तों को प्राथमिकता देने की सलाह दी। 

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रात 3 बजे काम करने पर रोहित कपूर का कटाक्ष "जो लोग कहते हैं कि वे रात 3 बजे तक काम करते हैं, वे यह नहीं बताते कि वे दोपहर में काम शुरू करते हैं।" उनका यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। 

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कर्मचारी भलाई पर जोर कपूर ने कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक सेहत को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया। 

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सोशल मीडिया पर मिल रही प्रतिक्रिया कपूर के विचारों को सोशल मीडिया पर समर्थन मिल रहा है, कई लोग हसल कल्चर के खिलाफ उनकी बातों से सहमति जता रहे हैं। 

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हसल कल्चर पर हो रही नई बहस रोहित कपूर के इस बयान से आधुनिक कार्य संस्कृति पर बहस तेज हो गई है, जिसमें कार्य-जीवन संतुलन की बढ़ती आवश्यकता को स्वीकारा जा रहा है। 

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