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Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana : गुजरात में जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ी पहल

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana

गुजरात सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि के तहत जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में जल संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करना और लोगों की सक्रिय भागीदारी से जल संरक्षण को एक जन आंदोलन बनाना है। यह योजना जल शक्ति मंत्रालय और गुजरात सरकार की साझेदारी से चलाई जा रही है, जिसमें लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा​

योजना का उद्देश्य

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana का मुख्य उद्देश्य गुजरात राज्य में जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाना है। इसके तहत विभिन्न प्रकार की जल संचय संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, जो न केवल वर्षा जल को संरक्षित करेंगी, बल्कि लंबे समय तक जल की स्थिरता भी सुनिश्चित करेंगी।

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana – जल संरक्षण हमेशा से मानव समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। तेजी से घटते जल संसाधनों के बीच, जल संरक्षण की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। इसी दिशा में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ‘Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana’ का शुभारंभ किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से सूरत से लॉन्च किया। इस योजना का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इसमें भागीदार बनाना है।

गुजरात में जल संरक्षण की सफलता

गुजरात ने जल संरक्षण के क्षेत्र में पहले से ही कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अनुसार, राज्य में जल संरक्षण के प्रयासों के तहत 11 लाख घन मीटर (11 lakh cubic metres) से अधिक जल को संरक्षित किया गया है। यह सफलता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘कैच द रेन’ (Catch the Rain) अभियान का परिणाम है, जिसे पूरे देश में बड़ी सफलता मिली है।

PM Modi’s remarks during launch of Jal Sanchay Jan Bhagidari initiative

‘Catch the Rain’ अभियान की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘कैच द रेन’ अभियान ने जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप दिया। इस अभियान के तहत, पूरे भारत में वर्षा जल संचयन के विभिन्न उपायों को अपनाया गया, जिससे राज्यों को जल संकट से निपटने में मदद मिली। गुजरात में इस अभियान के अंतर्गत विशेष रूप से कई परियोजनाएं सफल रहीं, जिनसे राज्य के जल संसाधनों को समृद्ध किया जा सका।

वडोदरा: एक मिसाल

वडोदरा जिले को देश का पहला जिला कहा जा सकता है, जहां हर गांव में वर्षा जल संचयन (rainwater harvesting) की सुविधा उपलब्ध है। मुख्यमंत्री पटेल ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह गुजरात के जल संरक्षण प्रयासों की सफलता का एक प्रमुख कारण है। वडोदरा का यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana के उद्घाटन के अवसर पर जल संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पानी ही जीवन का आधार है, और इसे संरक्षित करना हमारे आने वाले भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, जल का दान और जल की बचत करना सबसे बड़ा दान है, और इसके माध्यम से हम विश्व में जल संकट का समाधान खोजने में सक्षम हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए भाषण के प्रमुख बिंदु

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जल संचय जन भागीदारी पहल का शुभारंभ किया। इस अवसर पर दिए गए भाषण के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. जल संरक्षण और प्रकृति संरक्षण: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में जल और प्रकृति संरक्षण एक जनभागीदारी अभियान के रूप में चल रहा है, जिसमें समाज की पूर्ण भागीदारी आवश्यक है।
  2. जल संरक्षण एक नीति ही नहीं, बल्कि प्रयास और पुण्य भी है: उन्होंने जल संरक्षण को केवल एक सरकारी नीति नहीं, बल्कि एक नैतिक दायित्व और सामाजिक प्रतिबद्धता बताया।
  3. जल को भगवान और नदियों को देवी माना जाता है: भारतीय संस्कृति में जल को भगवान और नदियों को देवी के रूप में पूजने की परंपरा को प्रधानमंत्री ने दोहराया।
  4. समाज और सरकार का समग्र दृष्टिकोण: सरकार ने पूरे समाज और सरकार की एकजुटता से जल संरक्षण पर काम किया है, जिससे सभी स्तरों पर जनसहभागिता बढ़ी है।
  5. जल संरक्षण भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है: प्रधानमंत्री ने कहा कि जल और पर्यावरण संरक्षण भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा रहा है।
  6. जल संरक्षण सामाजिक जिम्मेदारी है: उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल सरकारी परियोजना नहीं, बल्कि समाज की जिम्मेदारी भी है, और इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
  7. ‘कम करें, पुनः उपयोग करें, पुनर्भरण करें और पुनर्चक्रण करें” का मंत्र: प्रधानमंत्री ने जल भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए जल संरक्षण के चार सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया।
  8. भारत जल संरक्षण का उदाहरण बनेगा: प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि भारत जल संरक्षण में विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा।
  9. गुजरात में 24,800 रेनवॉटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण: गुजरात में जल संचय के लिए लगभग 24,800 रेनवॉटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है, जिससे जल की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जाएगी।
  10. पानी से भविष्य की पीढ़ियाँ हमें आंकेंगी: उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियाँ हमें पानी के संरक्षण पर आधारित मानदंडों से परखेंगी।
  11. महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी: जल जीवन मिशन और पानी समितियों में महिलाओं की 50 प्रतिशत से अधिक भागीदारी की सराहना की गई।
  12. वर्षा जल संचयन की पहल: प्रधानमंत्री ने जलशक्ति अभियान, अमृत सरोवर और ‘कैच द रेन’ अभियान जैसी जल संरक्षण की सफल पहलों का उल्लेख किया।
  13. पर्यावरण और जल संरक्षण की आवश्यकता: भारत में 4 प्रतिशत वैश्विक ताजे पानी का होना, लेकिन कई क्षेत्रों में पानी की कमी होना, जल संरक्षण की आवश्यकता को दर्शाता है।
  14. कृषि में जल दक्षता: प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के लिए ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीकों को बढ़ावा देने और कम जल की आवश्यकता वाले फसलों की खेती पर जोर दिया।
  15. जल संरक्षण और रोजगार सृजन: जल जीवन मिशन के माध्यम से लाखों लोगों को रोजगार और स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं, और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है।

भारत में जल संकट से निपटने के लिए सरकारी पहल:

राष्ट्रीय जल मिशन (NWM): इसका उद्देश्य जल संरक्षण, अपव्यय को कम करना और विभिन्न क्षेत्रों में जल का समान वितरण सुनिश्चित करना है। यह जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा देने, भूजल पुनर्भरण और जल संसाधनों के सतत विकास पर केंद्रित है।

जल जीवन मिशन (JJM): 2019 में शुरू किया गया, इसका लक्ष्य 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप से जल आपूर्ति प्रदान करना है। यह विकेंद्रीकृत जल प्रबंधन, सामुदायिक भागीदारी और सुरक्षित एवं सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर जोर देता है।

अटल भूजल योजना (ABHY): 2019 में शुरू की गई, इसका उद्देश्य जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार और सतत भूजल उपयोग को बढ़ावा देना है। यह सामुदायिक भागीदारी, मांग प्रबंधन और भूजल पुनर्भरण उपायों पर केंद्रित है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): 2015-16 में शुरू की गई, इसका उद्देश्य खेतों में जल की भौतिक पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, खेत में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना और सतत जल संरक्षण प्रथाओं को लागू करना है।

अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT): 2015 में 500 चयनित शहरों में शुरू किया गया, यह मिशन शहरों में जल आपूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, तूफानी जल निकासी, हरित क्षेत्र और पार्क और गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन के क्षेत्रों में बुनियादी शहरी बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है।

नमामि गंगे कार्यक्रम: 2014 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवित करना है। यह प्रदूषण को संबोधित करने, सतत अपशिष्ट जल प्रबंधन को बढ़ावा देने और नदी बेसिन के पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बहाल करने पर केंद्रित है।

नदियों का आपस में जोड़ना (ILR): राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA) को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत नदियों को जोड़ने का कार्य सौंपा गया है। NPP के दो घटक हैं, अर्थात् हिमालयी नदियों का विकास घटक और प्रायद्वीपीय नदियों का विकास घटक। NPP के तहत 30 लिंक परियोजनाओं की पहचान की गई है।

जल संचय संरचनाओं का निर्माण

इस योजना के तहत गुजरात में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। ये संरचनाएं न केवल जल संरक्षण में सहायक होंगी, बल्कि राज्य की दीर्घकालिक जल स्थिरता को भी सुनिश्चित करेंगी। वर्षा जल संचयन के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पानी की उपलब्धता को बेहतर बनाया जा सके, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जल संकट की समस्या अधिक है।

गुजरात की अन्य जल संरक्षण योजनाएं

गुजरात में ‘सुझलाम सुफलाम योजना’ भी जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता रही है। इस योजना के तहत नहरों, जलाशयों और तालाबों की सफाई और पुनरुद्धार का कार्य किया गया, जिससे जल संरक्षण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे राज्य की जल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा।

जल संकट से निपटने के वैश्विक प्रयास

प्रधानमंत्री मोदी ने जल संकट से निपटने के लिए भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि जल संकट केवल भारत का नहीं, बल्कि पूरे विश्व का मुद्दा है। इसलिए, भारत को इस समस्या के समाधान में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सोच और दृष्टिकोण पहले से ही व्यापक और दूरदर्शी रहे हैं, और अब समय आ गया है कि हम इस दिशा में और भी प्रभावी कदम उठाएं।

समाज की भागीदारी: जन भागीदारी का महत्व

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। जल संरक्षण केवल सरकार या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इस योजना के माध्यम से, लोगों को जल संरक्षण के महत्व के प्रति जागरूक किया जाएगा और उन्हें इसके विभिन्न उपायों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

जल संरक्षण में प्रौद्योगिकी की भूमिका

आज की आधुनिक दुनिया में, प्रौद्योगिकी ने जल संरक्षण के उपायों को और अधिक प्रभावी बना दिया है। Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana के तहत, प्रौद्योगिकी का उपयोग जल संचयन, जल गुणवत्ता की निगरानी, और जल वितरण के प्रबंधन के लिए किया जाएगा। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जल के उपयोग और संरक्षण में पारदर्शिता बनी रहे।

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana वर्षा जल संचयन के लाभ

वर्षा जल संचयन के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ मुख्य हैं:

  1. जल संकट से राहत: सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
  2. भूजल स्तर में सुधार: वर्षा जल संचयन से भूजल स्तर में वृद्धि होती है, जिससे जल की उपलब्धता में सुधार होता है।
  3. कृषि क्षेत्र में सहायता: जल संचयन से किसानों को सिंचाई के लिए आवश्यक जल की उपलब्धता में मदद मिलती है।
  4. पर्यावरण संरक्षण: जल संरक्षण के उपायों से पर्यावरण का भी संरक्षण होता है।

भारत को जल संकट से निपटने में कैसे फायदा होगा?

भारत की जल संकट से निपटने की रणनीति में जल संचयन, पुनर्चक्रण और प्रभावी जल प्रबंधन के उपाय शामिल हैं। Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana के तहत इन सभी उपायों को मजबूत किया जाएगा, जिससे देश को जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, यह योजना भविष्य में जल संसाधनों की स्थिरता को भी सुनिश्चित करेगी।

गुजरात: जल संरक्षण का अग्रणी राज्य

गुजरात जल संरक्षण के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana और अन्य जल संरक्षण योजनाओं के माध्यम से, गुजरात ने जल संकट से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन योजनाओं से राज्य के जल संसाधनों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण मदद मिली है और आने वाले समय में अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा।

निष्कर्ष

Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana गुजरात और पूरे भारत के लिए जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस योजना के माध्यम से, जल संरक्षण को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा और समाज के हर वर्ग को इसमें शामिल किया जाएगा। जल संकट से निपटने के लिए यह योजना न केवल वर्तमान समय में बल्कि भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जल ही जीवन है, और इसे संरक्षित करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

FAQs

  1. Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana का उद्देश्य क्या है?
    इसका उद्देश्य गुजरात में जल संरक्षण के लिए समाज की भागीदारी को बढ़ावा देना और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  2. गुजरात में ‘कैच द रेन’ अभियान की सफलता क्या रही है?
    ‘कैच द रेन’ अभियान ने गुजरात में जल संरक्षण के प्रयासों को तेज किया, जिसके परिणामस्वरूप 11 लाख घन मीटर (11 lakh cubic metres) जल का संरक्षण हुआ।
  3. वर्षा जल संचयन से क्या लाभ होते हैं?
    इससे जल संकट में राहत, भूजल स्तर में सुधार, कृषि क्षेत्र में मदद और पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलती है।
  4. वडोदरा जिले की विशेषता क्या है?
    वडोदरा देश का पहला जिला है जहां हर गांव में वर्षा जल संचयन की सुविधा उपलब्ध है।
  5. Jal Sanchay Jan Bhagidari Yojana के तहत कितनी जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा?
    योजना के तहत गुजरात में लगभग 24,800 जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा।

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