भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण के साथ-साथ शहरों में रोजगार और आजीविका की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी योजनाएं दशकों से एक सुरक्षा कवच प्रदान कर रही हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों के लिए ऐसी कोई व्यापक पहल नहीं थी।
इसी पृष्ठभूमि में, राजस्थान सरकार ने एक दूरदर्शी और क्रांतिकारी कदम उठाते हुए Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana की शुरुआत की, जिसे अब इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के नाम से भी जाना जाता है। 9 सितंबर, 2022 को शुरू की गई यह योजना, शहरी गरीब और जरूरतमंद परिवारों को एक निश्चित आय का जरिया प्रदान कर आर्थिक संबल देती है। यह अपने आप में देश की सबसे बड़ी शहरी रोजगार गारंटी योजनाओं में से एक है, जो शहरी परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है। यह लेख इस महत्वाकांक्षी योजना के हर पहलू पर गहराई से प्रकाश डालेगा, ताकि पाठक इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें, जिसमें इसके उद्देश्य, लाभ, पात्रता, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, और इसके सामने आने वाली चुनौतियाँ शामिल हैं।
Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana के उद्देश्य और मूल सिद्धांत
Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana का प्राथमिक लक्ष्य शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन का सुनिश्चित रोज़गार उपलब्ध कराना है। इस रोज़गार के माध्यम से पात्र परिवारों की आजीविका को सुरक्षित करना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। यह लक्ष्य विशेष रूप से कोविड-19 महामारी जैसे आर्थिक संकट के समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब लाखों लोगों ने अपनी आजीविका खो दी थी और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में अचानक वृद्धि हुई थी। योजना का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य नागरिकों को सार्वजनिक कार्यों में शामिल करना है।
इससे न केवल उन्हें आय मिलती है, बल्कि शहरों के बुनियादी ढांचे और पर्यावरण का भी सुधार होता है। यह एक ऐसा मॉडल है जहां नागरिक अपनी मेहनत के बदले न सिर्फ खुद को बल्कि अपने शहर को भी बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस तरह के कार्य में सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण, पार्कों का रखरखाव, ठोस कचरा प्रबंधन, और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा शामिल है। यह योजना शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies) की क्षमता को मजबूत करने का भी प्रयास करती है, क्योंकि ये निकाय ही योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं और इन्हें विभिन्न सार्वजनिक कार्यों के लिए श्रमशक्ति प्राप्त होती है। यह योजना सिर्फ रोजगार देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शहरी परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। यह उन्हें अनिश्चितताओं से बचाती है और उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
नवीनतम अपडेट: 100 से 125 दिन का सफर और इसका प्रभाव
Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana के कार्यान्वयन में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव इसके तहत मिलने वाले रोजगार के दिनों की संख्या में वृद्धि है। योजना की शुरुआत में, यह प्रति परिवार 100 दिन का रोजगार प्रदान करती थी, ठीक महात्मा गांधी नरेगा की तर्ज पर। लेकिन, एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय के बाद, रोजगार के दिनों को 1 अप्रैल, 2023 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया। यह संशोधन पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा बजट 2023-24 में की गई घोषणा के बाद किया गया था। इस अतिरिक्त 25 दिनों के रोजगार के लिए लगभग 1100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होने का अनुमान था, जो योजना के लिए सालाना 800 करोड़ रुपये के प्रावधान के अलावा है। यह इस पहल के प्रति सरकार की वित्तीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह स्पष्ट करता है कि सरकार शहरी श्रमिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कितनी गंभीर थी। यह बदलाव सिर्फ एक संख्यात्मक वृद्धि नहीं है, बल्कि एक गहरी सामाजिक-आर्थिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ग्रामीण बेरोजगारी अक्सर मौसमी होती है और कृषि कार्यों पर निर्भर करती है, जबकि शहरी बेरोजगारी में ऐसा कोई मौसमी पैटर्न नहीं होता। शहरी परिवारों को अधिक दिनों के रोजगार की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि उनकी आजीविका की अनिश्चितता पूरे वर्ष बनी रहती है। 125 दिन का रोज़गार प्रदान करके, सरकार ने न केवल शहरी लोगों को एक मजबूत सुरक्षा जाल दिया, बल्कि Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana को मनरेगा से भी एक कदम आगे ले जाकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की। यह कदम शहरी क्षेत्रों में बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता को कम करने और लोगों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय था।
मौजूदा सरकार का दृष्टिकोण और भविष्य की दिशा भी Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana के संदर्भ में देखने लायक है। यह एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव है कि 2025-26 के बजट में इस योजना का सीधे तौर पर कोई विशिष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। इसके बजाय, बजट में ‘राजस्थान रोज़गार नीति-2025’, ‘विश्वकर्मा युवा उद्यमी प्रोत्साहन योजना’ और कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह एक नीतिगत निरंतरता और परिवर्तन का मिला-जुला परिदृश्य प्रस्तुत करता है। पिछली सरकार का मॉडल मुख्य रूप से मांग-आधारित, गारंटीशुदा और अकुशल श्रम-केंद्रित था। इसके विपरीत, मौजूदा सरकार का ध्यान कौशल विकास, निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर है। यह बताता है कि भले ही योजना अभी भी चल रही है और दिसंबर 2024 तक के प्रगतिशील आंकड़े उपलब्ध हैं, नई सरकार की प्राथमिकताएं बदल गई हैं। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और नीतिगत बदलाव को दर्शाता है, जिसमें गारंटीशुदा रोजगार के बजाय अधिक स्थायी और कौशल-आधारित रोजगार पर जोर दिया जा रहा है।
लाभ
राजस्थान मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना शहरी परिवारों के लिए कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ लेकर आई है। योजना का सबसे बड़ा और सीधा लाभ शहरी परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों की आय की गारंटी है। यह आय अनिश्चित समय में एक सहारा प्रदान करती है और न्यूनतम जीवन स्तर को बनाए रखने में मदद करती है। Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana ने विशेष रूप से महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान किया है। हालांकि, मजदूरी दरें कुछ हद तक कम हैं, फिर भी यह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है और परिवार की आय में योगदान करने का अवसर देती है, जिससे समाज में उनकी भूमिका और मजबूत होती है। यह योजना सिर्फ वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। योजना के तहत किए जाने वाले कार्य सीधे तौर पर शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हैं। उदाहरण के लिए, वृक्षारोपण से पर्यावरण को लाभ होता है, और स्वच्छता अभियान से सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इससे शहरों को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने में मदद मिलती है।
योजना की प्रगति को मापने के लिए, नवीनतम आंकड़ों का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है। दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, 6.53 लाख परिवारों का पंजीकरण हुआ है, और 2024-25 में 1.83 लाख परिवारों को काम आवंटित किया गया है। इसके तहत 2746 कार्यों को मंजूरी मिली है, जिससे 86.48 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन हुआ है। ये आंकड़े बताते हैं कि योजना का कार्यान्वयन प्रभावी रहा है और इसने लाखों परिवारों को काम दिया है। हालांकि, पंजीकृत परिवारों और काम आवंटित किए गए परिवारों की संख्या में अंतर से यह भी पता चलता है कि मांग और आपूर्ति के बीच अभी भी अंतर है। यह योजना के पूर्ण दायरे तक पहुंचने में आने वाली चुनौतियों को इंगित करता है, जिस पर आगे के कार्यान्वयन में ध्यान देने की आवश्यकता है।
पात्रता मानदंड
योजना के लिए आवेदन करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। आवेदक राजस्थान का स्थायी निवासी होना चाहिए और शहरी स्थानीय निकाय की सीमा में निवास करता हो। इसके अलावा, आवेदक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana का सबसे महत्वपूर्ण और अनिवार्य शर्त यह है कि आवेदक के पास जन आधार कार्ड या जन आधार पंजीयन रसीद होना अनिवार्य है। जन आधार कार्ड के बिना कोई भी व्यक्ति इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता।
आवश्यक दस्तावेज़
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची भी स्पष्ट रूप से परिभाषित है। यह सुनिश्चित करता है कि आवेदन प्रक्रिया सुचारू और पारदर्शी हो।
- जन आधार कार्ड या नामांकन आईडी: यह योजना में पंजीकरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
- मोबाइल नंबर: आवेदन के दौरान ओटीपी (OTP) सत्यापन के लिए एक चालू मोबाइल नंबर आवश्यक है।
- बैंक खाते का विवरण: काम की मजदूरी का भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाता है, इसलिए बैंक पासबुक का विवरण अनिवार्य है।
- पहचान पत्र: निम्नलिखित में से कोई भी एक परिचय पत्र आवेदन के लिए स्वीकार्य है:
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- पासपोर्ट
- राशन कार्ड
- वोटर आईडी कार्डयह सुनिश्चित करता है कि आवेदक की पहचान सत्यापित हो सके और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके। जन आधार कार्ड धारकों के लिए जॉब कार्ड प्राप्त करने के लिए केवल जन आधार कार्ड ही पर्याप्त है।
आवेदन प्रक्रिया
राजस्थान मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना के लिए आवेदन करना एक सीधी और सरल प्रक्रिया है। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों का उपयोग किया जा सकता है।
जन आधार पंजीकरण
सबसे पहले, यह सुनिश्चित करें कि आपके पास जन आधार कार्ड है। यदि आपके पास जन आधार कार्ड नहीं है, तो आप जन आधार पोर्टल <https://janapp.rajasthan.gov.in/janaadhaar/citizenDashboard>
या नजदीकी ई-मित्र केंद्र के माध्यम से इसका नामांकन करवा सकते हैं। जन आधार कार्ड Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana का लाभ उठाने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
एसएसओ पोर्टल पर पंजीकरण और लॉगिन
आवेदन के लिए, लाभार्थी को राजस्थान सरकार के एसएसओ (SSO) पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण करना होगा। SSOID प्राप्त हो जाने के बाद, आप अपनी आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके पोर्टल में लॉगिन कर सकते हैं।
योजना के लिए आवेदन
लॉगिन करने के बाद, आपको ‘मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना’ सेक्शन चुनना होगा। उसके बाद, अपना जन आधार कार्ड नंबर या पंजीयन आईडी दर्ज करें। आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी (OTP) आएगा, जिसे दर्ज कर सत्यापित करना होगा। ओटीपी सत्यापन के बाद, पोर्टल द्वारा आपके परिवार की जानकारी स्वतः ही प्रदर्शित हो जाएगी। आपको अपने परिवार के उन सदस्यों का चयन करना होगा जो रोजगार प्राप्त करना चाहते हैं, और फिर आवेदन सबमिट करना होगा।
जॉब कार्ड डाउनलोड
आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आपका जॉब कार्ड जारी हो जाएगा, जिसे आप पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं। जॉब कार्ड प्राप्त होने के बाद, आप कार्य हेतु आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम
Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana में आवेदन करने के दो मुख्य माध्यम हैं। पहला, आप स्वयं अपनी एसएसओ आईडी के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। दूसरा, यदि आपको ऑनलाइन प्रक्रिया में कोई समस्या आती है, तो आप अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर भी पंजीकरण और काम के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, नगरीय निकाय कार्यालयों में भी आवेदन किया जा सकता है।
योजना के तहत किए जाने वाले कार्य: रोज़गार की प्रकृति
राजस्थान मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना के तहत उपलब्ध काम की प्रकृति सार्वजनिक हित से जुड़ी हुई है। यह योजना मुख्य रूप से अकुशल या अर्ध-कुशल श्रम-आधारित कार्य प्रदान करती है, जो शहरी बुनियादी ढांचे के विकास और पर्यावरण के सुधार से संबंधित होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि योजना न केवल लोगों को रोजगार दे, बल्कि शहरों को भी बेहतर बनाए।
कार्यों की सूची
- पर्यावरण संरक्षण कार्य: इसमें सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण, पार्कों और उद्यानों का रखरखाव, और हरियाली को बढ़ावा देने से संबंधित कार्य शामिल हैं।
- स्वच्छता और ठोस कचरा प्रबंधन: शहरी क्षेत्रों में सफाई अभियान चलाना, ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित कार्य, और नालियों की सफाई आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- विरासत और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा: विरासत स्थलों का संरक्षण, चारदीवारी का निर्माण, और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए गार्ड की व्यवस्था करना Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- अन्य कार्य: शहरी क्षेत्रों में पार्किंग विकास और प्रबंधन, बेसहारा पशुओं को पकड़ने, रखने और उनके प्रबंधन से संबंधित कार्य भी इस योजना के दायरे में शामिल हैं।
इन कार्यों की प्रकृति यह दर्शाती है कि योजना का उद्देश्य एक सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान करना है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि कार्यों की प्रकृति मुख्य रूप से अकुशल श्रम-आधारित है। यह योजना की एक सीमा को दर्शाता है, क्योंकि यह कुशल श्रमिकों को आकर्षित नहीं कर पाती है। कम मजदूरी दर के साथ मिलकर यह कारक Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana को एक व्यापक रोजगार समाधान के बजाय एक सीमित सामाजिक सुरक्षा जाल तक ही सीमित कर देता है। यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है जिनके पास कोई विशेष कौशल नहीं है, लेकिन यह व्यापक शहरी बेरोजगारी को पूरी तरह से संबोधित नहीं कर पाती।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा: एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण
राजस्थान मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना एक दूरदर्शी पहल है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिन पर विचार करना आवश्यक है। आलोचकों का मानना है कि यह योजना राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ा सकती है, विशेष रूप से तब जब राजस्थान वित्तीय रूप से सबसे अधिक दबाव वाले राज्यों में से एक है। अतिरिक्त 25 दिनों के रोजगार से यह बोझ और भी बढ़ गया है, जिससे दीर्घकालिक स्थिरता पर सवाल उठते हैं। एक और महत्वपूर्ण चिंता यह है कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को बढ़ावा दे सकती है। शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी का वादा ग्रामीण श्रमिकों को बेहतर अवसरों की तलाश में शहरों की ओर आकर्षित कर सकता है। इसका परिणाम न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कमजोर होना हो सकता है, बल्कि शहरी बुनियादी ढांचे और संसाधनों पर भी दबाव बढ़ सकता है, जो पहले से ही तनाव में हैं। यह एक ऐसा जटिल मुद्दा है जिस पर नीति निर्माताओं को ध्यान देने की आवश्यकता है।
योजना में दी जाने वाली मजदूरी दरें भी एक चुनौती पेश करती हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, ये दरें खुले बाजार में मिलने वाली दिहाड़ी (लगभग ₹500) से कम हैं। कम मजदूरी के कारण, कुशल मजदूर और कुछ पुरुष श्रमिक Mukhyamantri Shahari Rojgar Guarantee Yojana में रुचि नहीं दिखाते हैं, जिससे यह मुख्यतः महिलाओं के लिए एक अतिरिक्त आय का साधन बन जाती है। यह योजना के व्यापक लक्ष्य को सीमित करती है, क्योंकि यह सभी बेरोजगार शहरी नागरिकों को समान रूप से आकर्षित नहीं करती। इसके अलावा, कार्यान्वयन स्तर पर कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर ही 100 दिन और 125 दिन के रोजगार संबंधी विरोधाभासी जानकारी है। यह दिखाता है कि सूचना के प्रबंधन में कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है ताकि लाभार्थियों में कोई भ्रम न रहे।
शिकायत निवारण और भुगतान प्रक्रिया
यह सुनिश्चित करने के लिए कि योजना पारदर्शी और जवाबदेह हो, सरकार ने एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की है। यदि किसी लाभार्थी को योजना से संबंधित कोई समस्या या शिकायत है, तो वे सीधे राजस्थान संपर्क पोर्टल पर हेल्पलाइन नंबर 181 पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आधिकारिक वेबसाइट पर भी शिकायत निवारण के लिए हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं, जैसे 18001806127 और 181। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिकायत मिलने के 7 दिन के भीतर उसका निराकरण किया जाना अनिवार्य है, जो त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करता है। भुगतान प्रक्रिया भी बहुत सीधी है। काम पूरा होने के बाद, श्रमिकों को किए गए कार्य का भुगतान 15 दिन के भीतर सीधे उनके बैंक खाते में कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता बनाए रखने और बिचौलियों को खत्म करने में मदद करती है, जिससे मजदूरों को उनका हक समय पर मिलता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना क्या है?
यह मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिन का गारंटीशुदा रोजगार प्रदान करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है। इसका उद्देश्य शहरी गरीबों को आर्थिक संबल प्रदान करना है।
योजना में कौन आवेदन कर सकता है?
जन आधार कार्ड धारक कोई भी परिवार जिसमें 18 से 60 वर्ष की आयु के सदस्य हों, वह इस योजना के लिए आवेदन कर सकता है।
जन आधार कार्ड के बिना क्या करें?
यदि आपके पास जन आधार कार्ड नहीं है, तो सबसे पहले जन आधार पोर्टल या नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर अपना नामांकन करवाना अनिवार्य है। इसके बिना योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
रोजगार के लिए कितने दिन का आवेदन किया जा सकता है?
एक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 125 दिन का रोजगार मिलेगा।
काम मांगने के लिए आवेदन कैसे करें?
रोजगार की मांग के लिए आवेदक नजदीकी ई-मित्र पर या अपनी एसएसओ आईडी (SSOID) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकता है।
जॉब कार्ड बनाने के लिए क्या दस्तावेज़ चाहिए?
जॉब कार्ड प्राप्त करने के लिए केवल जन आधार कार्ड या जन आधार नामांकन आईडी पर्याप्त है।
क्या पंजीकरण के बाद तुरंत रोजगार मिल जाएगा?
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, पंजीकरण के 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
निष्कर्ष: शहरी आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
राजस्थान मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना, जिसे अब इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के नाम से जाना जाता है, ने शहरी बेरोजगारी की समस्या को हल करने की दिशा में एक साहसिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लाखों परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करके और शहरी बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देकर, इसने अपनी प्रासंगिकता साबित की है। दिसंबर 2024 तक के प्रगतिशील आंकड़े इसकी सफलता की कहानी बताते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह योजना शहरी परिवारों के लिए एक जीवनरेखा साबित हुई है। हालांकि, वित्तीय बोझ, ग्रामीण-शहरी पलायन, और मजदूरी दरों जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, यह योजना अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकती है और शहरी गरीबों को सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। शहरी रोजगार गारंटी जैसी योजनाएं केवल आर्थिक सहायता नहीं हैं, बल्कि ये नागरिकों के सम्मान और आत्मनिर्भरता की भावना को भी मजबूत करती हैं। यह राजस्थान को एक अधिक समावेशी और प्रगतिशील राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।